नयनों के डोरे लाल-गुलाल भरे – होली कविता – (Holi kavita)
नयनों के डोरे लाल-गुलाल भरे - होली कविता – (Holi kavita) सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" जी ने 1932 लिखी थी जिसका प्रकाशन “जागरण” पाक्षिक काशी 22 मार्च 1932 में किया
नयनों के डोरे लाल-गुलाल भरे - होली कविता – (Holi kavita) सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" जी ने 1932 लिखी थी जिसका प्रकाशन “जागरण” पाक्षिक काशी 22 मार्च 1932 में किया
पथ आंगन पर रखकर आई ( Path Aangan Par Rakhkar aai ) कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला जी द्वारा लिखी गई चर्चित कविताओं में से एक हैं | इस कविता में
कवि सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” जी द्वारा लिखी गई यह कविता अभी न होगा मेरा अंत ( Abhi Na Hoga Mera Ant ) निराला जी के आशावादी और उत्साहमय जीवन को
गीत गाने दो मुझे तो ( Geet Gane do mujhe to ) गीत गाने दो मुझे तो,वेदना को रोकने को। चोट खाकर राह चलतेहोश के भी होश छूटे,हाथ जो पाथेय
वह तोड़ती पत्थर कविता पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” जी द्वारा लिख गई सबसे चर्चित कविता है| यह कविता निराला जी ने इलाहाबाद वर्तमान में प्रयागराज के एक मार्मिक दृश्य का
बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु ! कविता, कवि सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” जी द्वारा लिखी गई प्रचलित कविताओं में से एक है | मैं व्यक्तिगत रूप से इस कविता को
सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” जी यह कविता “जागो फिर एक बार” भारतीय युवाओं को जागृत करने और जोश भरने के लिए लिखा है | निराला जी इस कविता के माध्यम से
सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” जी हिंदी साहित्य और कविता क्षेत्र में विशेष स्थान रखते हैं| निराला जी छायावादी कविता के चार सतन्भों में से एक हैं| निराला जी की कविता और
सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” जी की कविता “प्रेम के प्रति” एक अद्भुत और भाषा समृद्ध कविता है| इस कविता में कवि प्रेम के प्रति अपनी भावनाएं प्रकट कर रहा है |
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा लिखित यह रचना “वर दे वीणावादिनी वर दे” हम सब को बचपन में पढ़ाई गयी तो जो आज तक हम सबको कंठस्थ है | इस कविता