सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”

पथ आंगन पर रखकर आई | सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”

पथ आंगन पर रखकर आई ( Path Aangan Par Rakhkar aai ) कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला जी द्वारा लिखी गई चर्चित कविताओं में से एक हैं | इस कविता में कवी बसंत के आगमन से होने वाले प्राकृतिक परिवर्तन की बात कर रहा है|

“पल्लव – पल्लव पर हरियाली फूटी, लहरी डाली-डाली,
बोली कोयल, कलि की प्याली मधु भरकर तरु पर उफनाई।”

“झोंके पुरवाई के लगते, बादल के दल नभ पर भगते,
कितने मन सो-सोकर जगते, नयनों में भावुकता छाई।”

“लहरें सरसी पर उठ-उठकर गिरती हैं सुन्दर से सुन्दर,
हिलते हैं सुख से इन्दीवर, घाटों पर बढ आई काई।”

“घर के जन हुये प्रसन्न-वदन, अतिशय सुख से छलके लोचन,
प्रिय की वाणी का अमन्त्रण लेकर जैसे ध्वनि सरसाई।”

सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”

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