गीत गाने दो मुझे तो – सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”
गीत गाने दो मुझे तो ( Geet Gane do mujhe to )
गीत गाने दो मुझे तो,
वेदना को रोकने को।
चोट खाकर राह चलते
होश के भी होश छूटे,
हाथ जो पाथेय थे, ठग-
ठाकुरों ने रात लूटे,
कंठ रूकता जा रहा है,
आ रहा है काल देखो।
भर गया है ज़हर से
संसार जैसे हार खाकर,
देखते हैं लोग लोगों को,
सही परिचय न पाकर,
बुझ गई है लौ पृथा की,
जल उठो फिर सींचने |
सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”