नयनों के डोरे लाल-गुलाल भरे - होली कविता – (Holi kavita) सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" जी ने 1932 लिखी थी जिसका प्रकाशन “जागरण” पाक्षिक काशी 22 मार्च 1932 में किया गया था|

नयनों के डोरे लाल-गुलाल भरे  – होली कविता – (Holi kavita)

नयनों के डोरे लाल-गुलाल भरे – होली कविता – (Holi kavita) सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” जी ने 1932 लिखी थी जिसका प्रकाशन “जागरण” पाक्षिक काशी 22 मार्च 1932 में किया गया था|

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क्षमा शोभती उस भुजंग को

क्षमा शोभती उस भुजंग को  || Kshama Shobhti Us Bhujang Ko

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