सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”

अभी न होगा मेरा अन्त – सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”

कवि सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” जी द्वारा लिखी गई यह कविता अभी न होगा मेरा अंत ( Abhi Na Hoga Mera Ant ) निराला जी के आशावादी और उत्साहमय जीवन को दर्शाती है | आशा करता हूँ यह कविता आपके जीवन में उत्साह का संचार करेगी |

“अभी न होगा मेरा अन्त
अभी-अभी ही तो आया है
मेरे वन में मृदुल वसन्त-
अभी न होगा मेरा अन्त”

“हरे-हरे ये पात,
डालियाँ, कलियाँ कोमल गात!”

“मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर
फेरूँगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर”

“पुष्प-पुष्प से तन्द्रालस लालसा खींच लूँगा मैं,
अपने नवजीवन का अमृत सहर्ष सींच दूँगा मैं,”

“द्वार दिखा दूँगा फिर उनको
है मेरे वे जहाँ अनन्त-
अभी न होगा मेरा अन्त।”

“मेरे जीवन का यह है जब प्रथम चरण,
इसमें कहाँ मृत्यु?
है जीवन ही जीवन
अभी पड़ा है आगे सारा यौवन
स्वर्ण-किरण कल्लोलों पर बहता रे, बालक-मन,”

“मेरे ही अविकसित राग से
विकसित होगा बन्धु, दिगन्त;
अभी न होगा मेरा अन्त।”

सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”

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