समय के सदुपयोग का महत्त्व

समय के सदुपयोग का महत्त्व – मोहन अबोध

नमस्कार ! मेरे शब्दों के दुनिया के दोस्त कैसे हो आप सब ? आशा करता हूँ आप आनंदित और स्वथ्य…

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गीत इक और लिखूँ, वो भी तुम पर लिखूँ – मोहन अबोध

कई बार गीत को किसी छंद में या नियम में बाँध दिया जाता है जिससे गीति की सुन्दरता और भी…

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जयशंकर प्रसाद

भारत महिमा – जयशंकर प्रसाद

जयशंकर प्रसाद

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सब-जीवन-बीता-जाता-है

सब जीवन बीता जाता है ,जयशंकर प्रसाद

हिन्दी साहित्य के विकास और खड़ी बोली तथा भाषा के विकास में जयशंकर प्रसाद जी को योगदान अविस्मर्णीय है इस…

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संग तुम्हारे, साथ तुम्हारे

संग तुम्हारे, साथ तुम्हारे – नागार्जुन

बाबा नागार्जुन की निर्भीकता और स्पष्टवादिता ही बाबा को सबसे अलग और आन्दोलनकारी कवि के रूप में स्थान दिलाती है|…

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बाकी बच गया अण्डा

बाकी बच गया अण्डा – नागार्जुन

बाबा नागार्जुन की कविता – बाकी बच गया अण्डा, उनके द्वारा लिखी गविताओं में से सबसे प्रसंघिक कविता हैं |…

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बाबा नागार्जुन

बादल को घिरते देखा है – नागार्जुन

बाबा जगार्जुन बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे| उनकी कविताओं जब भी पढ़ो तो आपको बहुदिशीय आयाम के दर्शन होतें हैं…

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भगवान के डाकिएthehindigiri भगवान के डाकिए

भगवान के डाकिए | रामधारी सिंह “दिनकर”

लेखक के बारे में – हिंदी साहित्य में अगर कवियों और कविताओं की बात होती हैं तो केवल गिने चुने…

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रोटी और स्वाधीनता

रोटी और स्वाधीनता – रामधारी सिंह “दिनकर”

रोटी और स्वाधीनता कविता राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखी गई कविता है जो की आजादी के उपरांत लिखी…

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आग की भीख

आग की भीख – रामधारी सिंह “दिनकर”

आग की भीख कविता राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह “दिनकर” ने अन १९४३ में लिखा था| इस कविता को अगर ध्यान…

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