मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायो – सूरदास
कविवर सूरदास जी ने मुख्य रूप से भगवान कृष्ण जी की बाल लीलाओं पद लिखे हैं | सूरदास जी की रचनाएँ भगवान कृष्ण जी की बाल लीलाओं का बहुत ही मार्मिक और मनमोहक वर्नन करती हैं | यह पद उस क्षण का है जब श्री कृष्ण जी अपनी माता यशोदा जी से अपने भ्राता बलराम जी की शिकायत करते हैं | कवि के अनुसार बलराम कभी कभी कृष्ण जी को सांवला कहकर चिढ़ाते थे| बार-बार यह भी कहते थे कि आपको तो मोल लिया है नन्द बाबा और यशोदा जी ने| आप सूरदास जी का यह पद “ मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायो ” पढ़िए और आनंद लीजिए |
मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायो।
मो सों कहत मोल को लीन्हों तू जसुमति कब जायो॥
कहा करौं इहि रिस के मारें खेलन हौं नहिं जात।
पुनि पुनि कहत कौन है माता को है तेरो तात॥
गोरे नंद जसोदा गोरी तू कत स्यामल गात।
चुटकी दै दै ग्वाल नचावत हंसत सबै मुसुकात॥
तू मोहीं को मारन सीखी दाउहिं कबहुं न खीझै।
मोहन मुख रिस की ये बातैं जसुमति सुनि सुनि रीझै॥
सुनहु कान बलभद्र चबाई जनमत ही को धूत।
सूर स्याम मोहिं गोधन की सौं हौं माता तू पूत॥
……सूरदास