देखते ही देखते पहलू बदल जाती है क्यूँ – डॉ कुँवर बेचैन
देखते ही देखते पहलू बदल जाती है क्यूँ नींद मेरी आँखों में आते ही जल जाती है क्यूँ। हाथ में…
चारु चंद्र की चंचल किरणें – मैथिलीशरण गुप्त
चारु चंद्र की चंचल किरणें – मैथिलीशरण गुप्त कविता क्षेत्र में मैंने बचपन से लेकर के अब तक अनेक नाम…
परशुराम की प्रतीक्षा | रामधारी सिंह “दिनकर” | हिंदी कविता
परशुराम की प्रतीक्षा | रामधारी सिंह दिनकर खण्ड – एक गरदन पर किसका पाप वीर ! ढोते हो ? शोणित…
अश्रु यह पानी नहीं है – महादेवी वर्मा
अश्रु यह पानी नहीं है ( Ashru Yah Pani Nahi Hai.) महादेवी वर्मा जी द्वारा लिखित बहुत ही चर्चित कविता…
बिहारी के दोहे
बिहारी ( Bihari) सतसइया के दोहरा ज्यों नावक के तीर। देखन में छोटे लगैं घाव करैं गम्भीर।। नहिं पराग नहिं…
नदी बोली समन्दर से – डॉ. कुँअर बेचैन
नदी बोली समन्दर से – डॉ. कुँअर बेचैन ( Dr Kunwar Bechain ) नदी बोली समन्दर से, मैं तेरे पास…
हिरोशिमा हिंदी कविता अज्ञेय | Hiroshima Hindi Kavita
Hiroshima Hindi Kavita एक दिन सहसासूरज निकलाअरे क्षितिज पर नहीं,नगर के चौक :धूप बरसीपर अंतरिक्ष से नहीं,फटी मिट्टी से। छायाएँ मानव-जन…
आने वाले हैं शिकारी मेरे गाँव में – गीतकार राजेन्द्र राजन
आने वाले हैं शिकारी आने वाले हैं शिकारी मेरे गाँव मेंजनता है चिन्ता की मारी मेरे गाँव में फिर वही…
हमारे कृषक – रामधारी सिंह “दिनकर”
हमारे कृषक जेठ हो कि हो पूस, हमारे कृषकों को आराम नहीं हैछूटे कभी संग बैलों का ऐसा कोई याम…
मेरे नगपति – मेरे विशाल – रामधारी सिंह दिनकर
मेरे नगपति! मेरे विशाल!साकार, दिव्य, गौरव विराट्,पौरुष के पुन्जीभूत ज्वाल!मेरी जननी के हिम-किरीट!मेरे भारत के दिव्य भाल!मेरे नगपति! मेरे विशाल!…