Author: Hindiadmin
बिहारी के दोहे
बिहारी ( Bihari) सतसइया के दोहरा ज्यों नावक के तीर। देखन में छोटे लगैं घाव करैं गम्भीर।। नहिं पराग नहिं…
Read Moreनदी बोली समन्दर से – डॉ. कुँअर बेचैन
नदी बोली समन्दर से – डॉ. कुँअर बेचैन ( Dr Kunwar Bechain ) नदी बोली समन्दर से, मैं तेरे पास…
Read Moreहिरोशिमा हिंदी कविता अज्ञेय | Hiroshima Hindi Kavita
Hiroshima Hindi Kavita एक दिन सहसासूरज निकलाअरे क्षितिज पर नहीं,नगर के चौक :धूप बरसीपर अंतरिक्ष से नहीं,फटी मिट्टी से। छायाएँ मानव-जन…
Read Moreआने वाले हैं शिकारी मेरे गाँव में – गीतकार राजेन्द्र राजन
आने वाले हैं शिकारी आने वाले हैं शिकारी मेरे गाँव मेंजनता है चिन्ता की मारी मेरे गाँव में फिर वही…
Read Moreहमारे कृषक – रामधारी सिंह “दिनकर”
हमारे कृषक जेठ हो कि हो पूस, हमारे कृषकों को आराम नहीं हैछूटे कभी संग बैलों का ऐसा कोई याम…
Read Moreमेरे नगपति – मेरे विशाल – रामधारी सिंह दिनकर
मेरे नगपति! मेरे विशाल!साकार, दिव्य, गौरव विराट्,पौरुष के पुन्जीभूत ज्वाल!मेरी जननी के हिम-किरीट!मेरे भारत के दिव्य भाल!मेरे नगपति! मेरे विशाल!…
Read Moreयौवन का पागलपन – माखनलाल चतुर्वेदी
यौवन का पागलपन हम कहते हैं बुरा न मानो, यौवन मधुर सुनहली छाया।सपना है, जादू है, छल है ऐसापानी पर…
Read Moreदीप से दीप जले – माखनलाल चतुर्वेदी
….दीप से दीप जले…. सुलग-सुलग री जोत दीप से दीप मिलेंकर-कंकण बज उठे, भूमि पर प्राण फलें। लक्ष्मी खेतों फली…
Read Moreपुष्प की अभिलाषा – माखनलाल चतुर्वेदी
बचपन में अनेक कविताओं का अध्ययन और वाचन किया मैंने परन्तु श्री माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखित कविता “पुष्प की अभिलाषा”…
Read Moreअज्ञात वास (रश्मिरथी -तृतीय सर्ग) रामधारी सिंह “दिनकर”
हो गया पूर्ण अज्ञात वास,पाडंव लौटे वन से सहास,पावक में कनक-सदृश तप कर,वीरत्व लिए कुछ और प्रखर,नस-नस में तेज-प्रवाह लिये,कुछ…
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