कलम या कि तलवार

कलम या कि तलवार कविता में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी कलम और तलवार की तुलना करते हैं | कवि राष्ट के युवाओं से प्रश्न करता है कि आपको क्या चाहिए , कलम या कि तलवार ? दिनकर जी कलम और तलवार की तुलना करते हुए लिखते हैं कलम से मन में भावों की गुणवत्ता बढती है जबकि तलवार से तन की शक्ति और साहस बढ़ता है |

दिनकर जी की यह कविता पढिये और समझिये की कलम क्यों महत्वपूर्ण है .|

“….कलम या कि तलवार….”

दो में से क्या तुम्हे चाहिए कलम या कि तलवार,
मन में ऊँचे भाव कि तन में शक्ति विजय अपार|

अंध कक्ष में बैठ रचोगे ऊँचे मीठे गान,
या तलवार पकड़ जीतोगे बाहर का मैदान|

कलम देश की बड़ी शक्ति है भाव जगाने वाली,
दिल की नहीं दिमागों में भी आग लगाने वाली|

पैदा करती कलम विचारों के जलते अंगारे,
और प्रज्वलित प्राण देश क्या कभी मरेगा मारे|

एक भेद है और वहां निर्भय होते नर -नारी,
कलम उगलती आग, जहाँ अक्षर बनते चिंगारी|

जहाँ मनुष्यों के भीतर हरदम जलते हैं शोले,
बादल में बिजली होती, होते दिमाग में गोले |

जहाँ पालते लोग लहू में हालाहल की धार,
क्या चिंता यदि वहाँ हाथ में नहीं हुई तलवार|

रामधारी सिंह “दिनकर”

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