क्षमा शोभती उस भुजंग को  || Kshama Shobhti Us Bhujang Ko

क्षमा शोभती उस भुजंग को
March 17, 2024 0 Comments 3 tags

क्षमा शोभती उस भुजंग को (Kshama Shobhti Us Bhujang Ko) कविता श्री रामधारी सिंह दिनकर जी द्वारा रचित सुप्रसिद्ध कविता है, यह कविता कौरव और पाण्डव से सम्बंधित है| इस

बालिका से वधू – रामधारी सिंह “दिनकर”

बालिका से वधू
November 18, 2022 0 Comments 3 tags

माथे में सेंदूर पर छोटी दो बिंदी चमचम-सी, पपनी पर आँसू की बूँदें मोती-सी, शबनम-सी। लदी हुई कलियों में मादक टहनी एक नरम-सी, यौवन की विनती-सी भोली, गुमसुम खड़ी शरम-सी।

समर शेष है – रामधारी सिंह “दिनकर”

रामधारी सिंह दिनकर
October 11, 2022 0 Comments 3 tags

राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह “दिनकर” जी हमेशा ऐसे पहलू पर अपनी कविताओं के मध्यम से प्रकाश डालते रहे हैं जो समाज व देश के लिए आवश्यक हैं| समर शेष है

मन्जिल दूर नहीं है – रामधारी सिंह “दिनकर”

मन्जिल दूर नहीं है
October 6, 2022 0 Comments 5 tags

श्री रामधारी सिंह दिनकर जी बहुआयामी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे जिन्होंने अनेक ऐसी रचनाएं लिखी जिनसे दिनकर जी को ख्याति प्राप्त हुयी| दिनकर द्वारा लिखी गयी कविता – मन्जिल

फलेगी डालों में तलवार – रामधारी सिंह दिनकर – Hindi Kavita

श्री रामधारी सिंह “दिनकर
September 1, 2022 0 Comments 3 tags

फलेगी डालों में तलवार (Falegi Dalon Me Talwar) कविता श्री रामधारी सिंह “दिनकर” जी द्वारा लिखी गयी कविता है इस कविता में दिनकर जी अपने अनुभव के आधार पर आने

ध्वज-वंदना – रामधारी सिंह “दिनकर”

Ramdhari Singh Dinkar
August 4, 2022 0 Comments 2 tags

श्री रामधारी सिंह दिनकर जी की कविताओं में देश प्रेम की अमिट छाप हमेशा दिखाई देती है| दिनकर जी की कविता ध्वज-वंदना (Dhwaj Vandana) भी राष्ट्र को समर्पित कविता है|

मनुष्य और सर्प – रामधारी सिंह “दिनकर”

Manushya aur sarp
May 20, 2022 0 Comments 1 tag

मनुष्य और सर्प ( Manushya aur sarp ) राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जी द्वारा रचित खंडकाव्य रश्मिरथी का एक छोटा सा अंश है | इस कविता में दानवीर कर्ण

परशुराम की प्रतीक्षा | रामधारी सिंह “दिनकर” | हिंदी कविता

परशुराम की प्रतीक्षा
April 8, 2022 0 Comments 1 tag

परशुराम की प्रतीक्षा | रामधारी सिंह दिनकर खण्ड – एक गरदन पर किसका पाप वीर ! ढोते हो ? शोणित से तुम किसका कलंक धोते हो ? उनका, जिनमें कारुण्य

हमारे कृषक – रामधारी सिंह “दिनकर”

हमारे कृषक
February 17, 2022 0 Comments 1 tag

हमारे कृषक जेठ हो कि हो पूस, हमारे कृषकों को आराम नहीं हैछूटे कभी संग बैलों का ऐसा कोई याम नहीं हैमुख में जीभ शक्ति भुजा में जीवन में सुख

मेरे नगपति – मेरे विशाल – रामधारी सिंह दिनकर

रामधारी सिंह दिनकर
February 6, 2022 0 Comments 1 tag

मेरे नगपति! मेरे विशाल!साकार, दिव्य, गौरव विराट्,पौरुष के पुन्जीभूत ज्वाल!मेरी जननी के हिम-किरीट!मेरे भारत के दिव्य भाल!मेरे नगपति! मेरे विशाल! युग-युग अजेय, निर्बन्ध, मुक्त,युग-युग गर्वोन्नत, नित महान,निस्सीम व्योम में तान