क्षमा शोभती उस भुजंग को || Kshama Shobhti Us Bhujang Ko
क्षमा शोभती उस भुजंग को (Kshama Shobhti Us Bhujang Ko) कविता श्री रामधारी सिंह दिनकर जी द्वारा रचित सुप्रसिद्ध कविता है, यह कविता कौरव और पाण्डव से सम्बंधित है| इस
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क्षमा शोभती उस भुजंग को (Kshama Shobhti Us Bhujang Ko) कविता श्री रामधारी सिंह दिनकर जी द्वारा रचित सुप्रसिद्ध कविता है, यह कविता कौरव और पाण्डव से सम्बंधित है| इस
माथे में सेंदूर पर छोटी दो बिंदी चमचम-सी, पपनी पर आँसू की बूँदें मोती-सी, शबनम-सी। लदी हुई कलियों में मादक टहनी एक नरम-सी, यौवन की विनती-सी भोली, गुमसुम खड़ी शरम-सी।
राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह “दिनकर” जी हमेशा ऐसे पहलू पर अपनी कविताओं के मध्यम से प्रकाश डालते रहे हैं जो समाज व देश के लिए आवश्यक हैं| समर शेष है
श्री रामधारी सिंह दिनकर जी बहुआयामी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे जिन्होंने अनेक ऐसी रचनाएं लिखी जिनसे दिनकर जी को ख्याति प्राप्त हुयी| दिनकर द्वारा लिखी गयी कविता – मन्जिल
फलेगी डालों में तलवार (Falegi Dalon Me Talwar) कविता श्री रामधारी सिंह “दिनकर” जी द्वारा लिखी गयी कविता है इस कविता में दिनकर जी अपने अनुभव के आधार पर आने
श्री रामधारी सिंह दिनकर जी की कविताओं में देश प्रेम की अमिट छाप हमेशा दिखाई देती है| दिनकर जी की कविता ध्वज-वंदना (Dhwaj Vandana) भी राष्ट्र को समर्पित कविता है|
मनुष्य और सर्प ( Manushya aur sarp ) राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जी द्वारा रचित खंडकाव्य रश्मिरथी का एक छोटा सा अंश है | इस कविता में दानवीर कर्ण
परशुराम की प्रतीक्षा | रामधारी सिंह दिनकर खण्ड – एक गरदन पर किसका पाप वीर ! ढोते हो ? शोणित से तुम किसका कलंक धोते हो ? उनका, जिनमें कारुण्य
हमारे कृषक जेठ हो कि हो पूस, हमारे कृषकों को आराम नहीं हैछूटे कभी संग बैलों का ऐसा कोई याम नहीं हैमुख में जीभ शक्ति भुजा में जीवन में सुख
मेरे नगपति! मेरे विशाल!साकार, दिव्य, गौरव विराट्,पौरुष के पुन्जीभूत ज्वाल!मेरी जननी के हिम-किरीट!मेरे भारत के दिव्य भाल!मेरे नगपति! मेरे विशाल! युग-युग अजेय, निर्बन्ध, मुक्त,युग-युग गर्वोन्नत, नित महान,निस्सीम व्योम में तान