अज्ञात वास

अज्ञात वास (रश्मिरथी -तृतीय सर्ग) रामधारी सिंह “दिनकर”

हो गया पूर्ण अज्ञात वास,पाडंव लौटे वन से सहास,पावक में कनक-सदृश तप कर,वीरत्व लिए कुछ और प्रखर,नस-नस में तेज-प्रवाह लिये,कुछ…

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भगवान के डाकिएthehindigiri भगवान के डाकिए

भगवान के डाकिए | रामधारी सिंह “दिनकर”

लेखक के बारे में – हिंदी साहित्य में अगर कवियों और कविताओं की बात होती हैं तो केवल गिने चुने…

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रोटी और स्वाधीनता

रोटी और स्वाधीनता – रामधारी सिंह “दिनकर”

रोटी और स्वाधीनता कविता राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखी गई कविता है जो की आजादी के उपरांत लिखी…

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आग की भीख

आग की भीख – रामधारी सिंह “दिनकर”

आग की भीख कविता राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह “दिनकर” ने अन १९४३ में लिखा था| इस कविता को अगर ध्यान…

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कृष्ण की चेतावनी

कृष्ण की चेतावनी-रामधारी सिंह “दिनकर”

कृष्ण की चेतावनी श्री रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखित काव्यखंड रश्मिरथी से लिया गया एक अंश है| दिनकर जी ने…

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कलम या कि तलवार

कलम या कि तलवार – रामधारी सिंह “दिनकर”

कलम या कि तलवार कविता में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी कलम और तलवार की तुलना करते हैं | कवि…

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रामधारी सिंह दिनकर

रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद-रामधारी सिंह “दिनकर”

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित कविता रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत…

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सिंहासन खाली करो कि जनता आती है |रामधारी सिंह “दिनकर”

सदियों की ठण्डी-बुझी राख सुगबुगा उठी,मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है;दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,सिंहासन खाली…

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