आरक्षण

आरक्षण से रुका समाज का वास्तविक विकास

मेरे शब्दों के दुनिया के दोस्त पुनः स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग के एक नए लेख में … Today I’m going to talk about reservation in our India. अर्थात आज मै अपने भारत में आरक्षण के बारे में बात करने जा रहा हूँ|

जैसे मैंने टाइटल में लिखा ही है “आरक्षण से रुका समाज का वास्तविक विकास” मेरे इस लेख में मुख्य बात यह होगी कि मै इस विषय पर बिलकुल चर्चा नहीं करूँगा की आरक्षण क्यों लगाया गया, आरक्षण की क्या आवश्यकता थी | मैं व्यक्तिगत रूप से भारत के संविधान पर आस्था रखता हूँ और सम्मान करता हूँ|

इस विषय पर आगे एक भी शब्द लिखने से पहले मै आप सब से निवेदन करता हूँ यदि आप जाति, धर्म और समुदाय का चश्मा लगाकर यह लेख पढ़ रहे है तो यह आपके लिए बिलकुल उपयोगी नहीं है|

यह मेरे व्यक्तिगत विचार है इसलिए मुझे ऐसा लगता है कि “किसी भी क्षेत्र में आरक्षण जातिगत रूप से प्रभावी नहीं किया जाना चाहिए |” आरक्षण का दायरा अल्प या अधिक कुछ भी हो सकता है परन्तु जातिगत नहीं हो सकता है| आरक्षण का मानक सिर्फ़ और सिर्फ़ आर्थिक स्थिति होनी चाहिए| 

इस सन्दर्भ में एक और मानक जोड़ना चाहूँगा Differently abled (विकलांग) को आरक्षण की आवश्यकता है जिसका उल्लेख भारत के संविधान में निहित है और भारत सरकार सम्बंधित आरक्षण नियमों का पालन भी कर रही है|

आप भी इस विषय पर विचार करिये कि भारत में या यूँ कहें तो पुरे संसार में क्या ऐसे कोई धर्म, जाति या मजहब है जिसमे हर एक व्यक्ति आर्थिक रूप से एक दुसरे के समकक्ष है | मुझे लगता है आपलोगों का भी यही प्रतिउत्तर होगा “ऐसा तो बिलकुल नहीं है”| 

यह भारत है और भारत में राजनीतिक स्तर बहुत गिर गया है साथ साथ मीडिया का भी ध्रुविकरण हो गया है यही कारण है मीडिया सच बता या दिखा नहीं रही है और सरकार सही रास्ते पर जा नहीं रही है |

दुर्भाग्य से अपना देश भारत आवश्यकता, आवश्यक आवश्यकता और प्रथमिकता में बहुत बार अंतर नहीं कर पाता है | यदि इस बात को दाल के उदाहरण से समझे तो दाल प्राथमिकता, नमक आवश्यक आवश्यकता और दाल में तड़का का होना आवश्यकता है|

आरक्षण के कारण कई बार ऐसी स्थितियां अपने देश उत्पन्न हुई है जहाँ पर योग्यता आरक्षण से हार गई है | जिसका मुख्य कारण आरक्षण की प्राथमिकता का मानक आर्थिक स्थित न होकर कुछ और है |

जब इस भारत में छोटा पद हो या बड़ा पद, योग्यता से नहीं आरक्षण से भरा जायेगा तो निश्चित रूप से भारत के विकास में बाधा उत्पन्न होगी |

अंततः यही कहूँगा कि यदि भारत और समाज का विकास निर्वाध रूप से करना है तो हमें अपनी प्राथमिकता, आवश्यकता तथा आवश्यक आवश्यकता को समझना होगा और आरक्षण में भी योग्यता को ही चुनना होगा|

व्यक्तिगत रूप से मेरा यह सुझाव है कि राष्ट्रहित में जिसके हिस्से में जो काम आये उसे पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करे|

इति |

@मोहन अबोध

One thought on “आरक्षण से रुका समाज का वास्तविक विकास

  1. Most ignored topic in India..
    Sad reality of our Nation..
    Thanks for a positive thought about this black truth..

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