ब्रदर्स डे

ब्रदर्स डे स्पेशल- Brothers Day Special मोहन अबोध

मेरे शब्दों की दुनियां के दोस्त, पुनः आपका स्वागत है एक नए लेख में। जो की आधारित है ब्रदर्स डे पर|

आज का लेख खटमिट्ठी यादों, सच्ची बातों और जीवन के मूल्यों पर आधारित है।
आप मुझे पढ़ पा रहें है यह आपकी व्यक्तिगत प्रतिभा है, लेकिन मैं लिख पा रहा हूँ यह मेरे भाइयों की अनुकंपा है।

सच बोलूं तो मेरे जन्म के बाद, मेरे भौतिक, शैक्षिक और सामाजिक अस्तित्व का पालन पोषण मेरे भाइयों ने किया। अगर इस वाक्य में एक कड़ी और सम्मिलित करूँ तो वह यह है कि “मेरी निजता की खोज तथा मानवता के बोध का श्रेय भी मेरे भाइयों को जाता है।”

कुल मिलाकर एक वाक्य यह कह सकता हूँ कि “वे हैं, इसलिए मेरा अस्तित्व है”।वैसे तो मेरा व्यक्तिगत रूप से यह मानना है, किसी भी रिश्ते के लिए एक दिन मुकम्मल नही होना चाहिए।
फिलहाल आज “इंटरनेशनल ब्रदर्स डे” है। यदि भाषा की विविधता और व्याकरण के पेचीदे पाश से बाहर निकलें, तो हम इस बात को कुछ यों कह सकते है कि आज “भाइयों का दिन” है।
उत्कंठा तो यह है कि इस विषय के इतिहास पर विस्तार से चर्चा करूँ…….।
लेकिन, प्रयास यह है कि आपको आपके भाइयों के प्रति अपनत्व को बोध सरल भाव से करा सकूँ।

तो साहिबान, आपको ले चलता हूँ लेख के उस पड़ाव पर जहाँ पर मैं रहूंगा, आप रहेंगे। इसके साथ साथ ताप, प्रेम, अपनत्व, स्नेह और मित्रवत व्यवहार के संगम के रूप में होंगे सबके अपने भाई।

तो दोस्तों याद करिए अपनी जिंदगी के गुजरे उस पल को जब आपको साइकल चलाना नहीं आता था। आप सीखना चाहते थे, आप चलाना चाहते थे पर आप डर रहे थे।
याद करिए उस दृश्य को जब आपका भाई आपकेे साइकल का पिछला हिस्सा पकड़कर आपको संतुलन की स्थिति में रखते हुए पीछे-पीछे चलता था। धीरे-धीरे करके आपने साइकल चलाना सीख लिया। आपको पता ही नहीं चला कि कब आपका डर आपके ज़हन से निकल गया।
अब आपको समझ आ रहा होगा कि भय से मुक्त का यह रास्ता कहां से शुरू हुआ।
“भाई ने हमें भय से मुक्त किया”।

याद करिए को उन दिनों को जब गलती आप करते थे, रोना आप शुरू करते थे।अंततः माँ-बाप की भृकुटी बड़े भाइयों पर चढ़ती थी और पीटे वह जाते थे।
अब आपको समझ आ रहा होगा कि हमारी गलतियों पर कई बार “सजा मिली हमारे भाइयों को”।

याद करिए उस पल को जब आपने अपना होमवर्क ही नही किया था और आप स्कूल जाने से कतरा रहे थे। आपके भाई ने अपनी पढ़ाई छोड़ कर आप का होमवर्क करवाया और आपको टीचर्स की प्रताड़ना से बचाया।
मुझे लग रहा है अब आप जरूर समझ पा रहें होगें कि “हमें भाइयों ने अप टू डेट रहना सिखाया।”
याद करिए उन दिनों को, जब आपको यह महसूस होने लगा कि अब मैं बड़ा हो चुका हूँ तथा अपने निर्णय स्वयं ले सकता हूँ। लेकिन कोई भी निर्णय लेने से पहले भाई से उस विषय पर इसलिए बात की, क्योंकि भाई को भाई के साथ साथ मित्र भी समझने लगे थे।
जीवन के इतने वर्ष गुजरने के बाद आज महसूस हो रहा है “मित्रता तो कईयों से होती है पर मित्र केवल भाई होता है।”

याद करिए अपने जीवन के उस विशेष दिन को जब आपका भाई अपने ज़रूरी खर्चों को रोक कर अपने पॉकेट मनी के सेविंग से आपके जन्मदिन पर सबसे खास उपहार देता है।

अगर इस बात को गहराई से समझने की कोशिश की जाए तो मोटा मोटा यह समझ आता है। अपने माँ-बाप के सिवाय अगर आपकी खुशियों के लिए कोई समझौता कर सकता है तो वह “आपका भाई है”।

अगर लिखता रहूँ तो न जाने कितने पेज भर जाएंगे लेकिन बातें खत्म होने का नाम नही लेंगी।

सामन्यतया बड़े भाई अपने कर्तव्य का निर्वहन सदैव निर्बाध रूप से करते रहते हैं।
अब हम छोटे भाईयों जिम्मेदारी है कि आज के दिन उन्हें “विशेष महसूस करा सकें।”
अंततः यही कहूँगा किसी भी रिश्ते के लिए एक दिन मुकम्मल नहीं होना चाहिए लेकिन आज हमें अवसर मिला है। भाइयों के दिन का उत्सव मनाने का तो क्यों न हम इस दिन को विशेष बनाएं।

हैप्पी ब्रदर्स डे|
Happy Brothers Day.

मेरे शब्दों के दुनियां के दोस्त फिर मिलते है एक नए लेख के साथ….
अपना ध्यान रखें।
घर पर रहें, सुरक्षित रहें।

इति
✍️ मोहन अबोध #Mohanabodh

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