भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों के प्रभाव और भूमिका

भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों के प्रभाव और भूमिका का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए ।

भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दल एक महत्वपूर्ण और जटिल भूमिका निभाते हैं; एक ओर राजनीतिक दल लोकतंत्र को जीवंत बनाने का प्रयास करते हैं साथ-साथ जनता का अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष प्रतिनिधित्व करते हैं और जनता को सरकार चुनने का अवसर तथा विकल्प प्रदान करते हैं। दूसरी ओर राजनीतिक दलों को कई चुनौतियों और आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है जिसका असर यह होता है कि शासन व राजनीतिक व्यवस्था में नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है।

राजनीतिक दलों का सकारात्मक प्रभाव व भूमिका :- अगर भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों के सकारात्मक प्रभाव व भूमिका के बारे में बात करें तो इन्हें निम्न बिंदुओं के विश्लेषण से समझ सकते हैं।

  • जनता के विविध हितों का प्रतिनिधित्व
  • राजनीतिक समूह और भागीदारी
  • सार्वजनिक नीतियों को आकर देना
  • सत्तारूढ़ सरकार पर जांच
  • आम सहमति बनाना

उपरोक्त सभी बिंदुओं को एक-एक करके विस्तार से समझते हैं।

जनता के विविध हितों का प्रतिनिधित्व :- भारत देश क्षेत्र, भाषा, धर्म व जाति के आधार पर विविधता पूर्ण है; राजनीतिक दल विविधता पूर्ण भारत के हितों व आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए मंच प्रदान करते हैं। और विकास व नीतियों के निर्माण में निम्न वर्ग के लोगों को मुख्य धारा में लाने के लिए पथ सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं।

राजनीतिक समूह और भागीदारी :- भारत के वैविध्यपूर्ण भारतीय जनता को भारतीय राजनीतिक दल, मतदान व राजनीति में सक्रिय भागीदारी निभाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ताकि लोकतान्त्रिक प्रक्रिया को सशक्त व सुदृढ़ बनाया जा सके।

सार्वजनिक नीतियों को आकार देना :- जब राजनीतिक दल सत्ता में होते हैं तब सार्वजनिक नीतियों का निर्माण करते हैं जिसमें जनता द्वारा चुने गए दलों की विचारधाराओं एवं भूतलक्षी उद्देश्यों का दृश्य दिखाई पढ़ता है जो देश के विकास की दिशा व भविष्य निर्धारित करते हैं।

सत्तारूढ़ सरकार पर जांच :- भारत संघीय प्रणाली की राजनीतिक व्यवस्था का अनुसरण करता है जिसमें संवैधानिक निकाय, न्यायालय तथा विपक्ष आदि प्रभाव में होते हैं। समय-समय पर सरकार के गलत कृत्यों पर विपक्ष, प्रश्नों और रानीतिक दबाव के द्वारा नकेल कसता रहता है और न्यायालय भी मूल अधिकार के सरंक्षण हेतु संविधान का निर्वचन करती रहती है।

आम सहमति बनाना :- भारत में बहुदलीय व्यवस्था है जिसमें गठबंधन एक आम बात है जिससे दलों में आम सहमति के माध्यम से सरकारें बनती हैं और विभिन्न पक्षों के बीच सहयोग को बढ़ावा मिलता है।

राजनीतिक दलों का नकारात्मक प्रभाव व भूमिका :- अगर भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों के नकारात्मक प्रभाव व भूमिका के बारे में बात करें तो इन्हें निम्न बिंदुओं में विभक्त कर सकते हैं।

  • गुटबाजी और क्षेत्रवाद
  • धन और बाहुबल का प्रयोग
  • लोक लुभावन उपाय
  • आंतरिक लोकतंत्र का अभाव वंशवाद की भूमिका
  • ध्रुवीकरण

गुटबाजी और क्षेत्रवाद :- भारतीय राजनीतिक दल अक्सर गुटबाजी और क्षेत्रवाद से पीड़ित प्रतीत होते हैं, जिसके कारण आंतरिक विभाजन एवं पहचान खोने का खतरा बना रहता है अतः अपनी अस्मिता को बचाने के चक्कर में राष्ट्रीय हितों पर कम ध्यान केंद्रित हो पता है।

धन और बाहुबल का प्रयोग :- धन और बाहुबल के प्रयोग के कारण अक्सर राजनीतिक दल प्रभावित होते हैं जिसके कारण भ्रष्टाचार और राजनीतिक अपराधीकरण को बढ़ावा मिलता है और अंततः लोकतांत्रिक सिद्धांत पर गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

लोक लुभावन उपाय :- राजनीतिक दल मुख्यतः चुनाव के दौरान लोक लुभावनवाद का सहारा लेते हैं, लुभावने वादे करते हैं और मुफ्त की चीज बाँटते हैं जिससे भारतीय राजनीति के संवैधानिक मूल सिद्धांत पर दीर्घकालिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

आंतरिक लोकतंत्र का अभाव व वंशवाद की भूमिका :- कई राजनीतिक दल में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है और निर्णय लेने की शक्ति कुछ नेताओं या परिवार के हाथों में रहती है जिससे वंशवाद को बढ़ावा मिलता है। वंशवाद राजनीतिक दल में नए विचारों और नेताओं के उदय को रोकता है जो लोकतांत्रिक राजनीति में नकारात्मक पक्ष माना जाता है।

ध्रुवीकरण :- कुछ राजनीतिक पार्टियों चुनावी लाभ हासिल करने के लिए विभाजनकारी राजनीति और पहचान आधारित विचारधारा का सहारा ले सकती हैं जिससे सामाजिक व सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है और राष्ट्रीय बंधुता पर खतरा बढ़ सकता है।

निष्कर्ष :- उपरोक्त सभी सकारात्मक व नकारात्मक बिंदुओं पर विचार करें तो यह कह सकते हैं कि राजनीतिक दल भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारतीय राजनीति में दलों के सकारात्मक प्रभाव बढ़ाने और नकारात्मक प्रभाव घटाने के लिए; आंतरिक लोकतंत्रात्मक प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देना होगा। बाहुबल, लोकलुभावनवाद तथा वंशवाद को कम करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

✍️ मोहन अबोध / @mohanabodh

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