Author: Hindiadmin

आने वाले हैं शिकारी मेरे गाँव में – गीतकार राजेन्द्र राजन
आने वाले हैं शिकारी आने वाले हैं शिकारी मेरे गाँव मेंजनता है चिन्ता की मारी मेरे गाँव में फिर वही…
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हमारे कृषक – रामधारी सिंह “दिनकर”
हमारे कृषक जेठ हो कि हो पूस, हमारे कृषकों को आराम नहीं हैछूटे कभी संग बैलों का ऐसा कोई याम…
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मेरे नगपति – मेरे विशाल – रामधारी सिंह दिनकर
मेरे नगपति! मेरे विशाल!साकार, दिव्य, गौरव विराट्,पौरुष के पुन्जीभूत ज्वाल!मेरी जननी के हिम-किरीट!मेरे भारत के दिव्य भाल!मेरे नगपति! मेरे विशाल!…
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यौवन का पागलपन – माखनलाल चतुर्वेदी
यौवन का पागलपन हम कहते हैं बुरा न मानो, यौवन मधुर सुनहली छाया।सपना है, जादू है, छल है ऐसापानी पर…
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दीप से दीप जले – माखनलाल चतुर्वेदी
….दीप से दीप जले…. सुलग-सुलग री जोत दीप से दीप मिलेंकर-कंकण बज उठे, भूमि पर प्राण फलें। लक्ष्मी खेतों फली…
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पुष्प की अभिलाषा – माखनलाल चतुर्वेदी
बचपन में अनेक कविताओं का अध्ययन और वाचन किया मैंने परन्तु श्री माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखित कविता “पुष्प की अभिलाषा”…
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अज्ञात वास (रश्मिरथी -तृतीय सर्ग) रामधारी सिंह “दिनकर”
हो गया पूर्ण अज्ञात वास,पाडंव लौटे वन से सहास,पावक में कनक-सदृश तप कर,वीरत्व लिए कुछ और प्रखर,नस-नस में तेज-प्रवाह लिये,कुछ…
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मातृ मूर्ति – पदुमलाल पन्नालाल बख्शी
मातृ मूर्ति क्या तुमने मेरी माता का देखा दिव्याकार,उसकी प्रभा देख कर विस्मय-मुग्ध हुआ संसार ।। अति उन्नत ललाट पर…
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है प्रीत जहाँ की रीत सदा – इंदीवर
है प्रीत जहाँ की रीत सदा जब ज़ीरो दिया मेरे भारत नेभारत ने मेरे भारत नेदुनिया को तब गिनती आईतारों…
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कौन सिखाता है चिडियों को – द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
कौन सिखाता है चिड़ियों को चीं-चीं, चीं-चीं करना?कौन सिखाता फुदक-फुदक कर उनको चलना फिरना? कौन सिखाता फुर्र से उड़ना दाने…
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