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भगवान के डाकिए | रामधारी सिंह “दिनकर”

लेखक के बारे में – हिंदी साहित्य में अगर कवियों और कविताओं की बात होती हैं तो केवल गिने चुने कुछ नाम हैं जिनका स्थान शीर्ष पर होता है| उन्ही में से एक नाम है, रामधरी सिंह “दिनकर” का, अगर आप हिंदी कविताओं को पढ़ते रहते हैं तो आपको पता ही होगा कि दिनकर जी को राष्ट्रकवि के रूप में हम लोग जानते और स्वीकार करते हैं|

आइये हम लोग राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी कि कविता “पक्षी और बादल भगवान के डाकिये हैं” का वाचन करते हैं|इस कविता के माध्यम से दिनकर जी समाज को यह बताना चाहते हैं कि प्रकृति किसी न किसी रूप में जैसे कभी पक्षी के माध्यम से तो कभी बादल के माध्यम से हमको संदेश देता है|

“पक्षी-और-बादल”

ये भगवान के डाकिए हैं,
जो एक महादेश से,
दूसरें महादेश को जाते हैं।
हम तो समझ नहीं पाते हैं,
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बाँचते हैं।

हम तो केवल यह आँकते हैं,
कि एक देश की धरती,
दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए,
पक्षियों की पाँखों पर तिरता है।
और एक देश का भाप,
दूसरे देश में पानी,
बनकर गिरता है।

रामधारी सिंह “दिनकर”

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