माखनलाल चतुर्वेदी

यौवन का पागलपन – माखनलाल चतुर्वेदी

यौवन का पागलपन हम कहते हैं बुरा न मानो, यौवन मधुर सुनहली छाया।सपना है, जादू है, छल है ऐसापानी पर…

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माखनलाल चतुर्वेदी

दीप से दीप जले – माखनलाल चतुर्वेदी

….दीप से दीप जले…. सुलग-सुलग री जोत दीप से दीप मिलेंकर-कंकण बज उठे, भूमि पर प्राण फलें। लक्ष्मी खेतों फली…

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माखनलाल चतुर्वेदी

पुष्प की अभिलाषा – माखनलाल चतुर्वेदी

बचपन में अनेक कविताओं का अध्ययन और वाचन किया मैंने परन्तु श्री माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखित कविता “पुष्प की अभिलाषा”…

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