यौवन का पागलपन – माखनलाल चतुर्वेदी

माखनलाल चतुर्वेदी
January 31, 2022 0 Comments 1 tag

यौवन का पागलपन हम कहते हैं बुरा न मानो, यौवन मधुर सुनहली छाया।सपना है, जादू है, छल है ऐसापानी पर बनती-मिटती रेखा-सा,मिट-मिटकर दुनियाँ देखे रोज़ तमाशा।यह गुदगुदी, यही बीमारी,मन हुलसावे,

दीप से दीप जले – माखनलाल चतुर्वेदी

माखनलाल चतुर्वेदी
January 31, 2022 0 Comments 1 tag

….दीप से दीप जले…. सुलग-सुलग री जोत दीप से दीप मिलेंकर-कंकण बज उठे, भूमि पर प्राण फलें। लक्ष्मी खेतों फली अटल वीराने मेंलक्ष्मी बँट-बँट बढ़ती आने-जाने मेंलक्ष्मी का आगमन अँधेरी

पुष्प की अभिलाषा – माखनलाल चतुर्वेदी

माखनलाल चतुर्वेदी
January 30, 2022 0 Comments 1 tag

बचपन में अनेक कविताओं का अध्ययन और वाचन किया मैंने परन्तु श्री माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखित कविता “पुष्प की अभिलाषा” मेरी सबसे प्रिये कविताओं में से एक रही है |