यौवन का पागलपन – माखनलाल चतुर्वेदी
January 31, 2022
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यौवन का पागलपन हम कहते हैं बुरा न मानो, यौवन मधुर सुनहली छाया।सपना है, जादू है, छल है ऐसापानी पर बनती-मिटती रेखा-सा,मिट-मिटकर दुनियाँ देखे रोज़ तमाशा।यह गुदगुदी, यही बीमारी,मन हुलसावे,