चार्टर अधिनियम 1813 1833 के सेंट हेलेना अधिनियम या भारत सरकार अधिनियम 1833 को 1833 के चार्टर अधिनियम के रूप में भी जाना जाता है। 1813 के चार्टर अधिनियम द्वारा भारत पर ईस्ट इंडिया कंपनी का आधिपत्य टूट गया। चाय, अफ़ीम और चीन के साथ व्यापार पर ईस्ट इंडिया कंपनी का अभी भी एकाधिकार था। कंपनी का शासन 20 वर्ष तक के लिए बढ़ा दिया गया।

इसने भारत में ब्रिटिशों की संवैधानिक स्थिति की व्याख्या के माध्यम से ब्रिटिश भारत पर ब्रिटेन के राजा की सम्प्रभुता साबित की गयी |

यह अधिनियम स्थानीय निकायों को, सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक-क्षेत्र में आने वाले लोगों पर, कर लगाने का भी अधिकार प्रदान करता है|

भारत में प्रांतीय सरकारों व न्यायालयों की शक्तियों के संदर्भ में यूरोपीय ब्रिटिशों के मामलों को मजबूती प्रदान की गयी|

भारतीय साहित्य के नवीनीकरण और विज्ञान के उत्थान हेतु वित्तीय प्रावधानों को शामिल किया गया|

इस अधिनियम में यह भी शामिल था कि मिशनरीज भारत में जाकर ईसाई धर्म का प्रसार कर सकते है|

चार्टर अधिनियम 1833 का मुख्य उद्देश्य क्या है? चार्टर अधिनियम 1833 का मुख्य उद्देश्य सभी व्यापार को पूरी तरह से समाप्त करना और यूरोपीय लोगों को भारत में स्वतंत्र रूप से बसने की अनुमति देना था।