रेगुलेटिंग अधिनियम, 1773 भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के मामलों को नियंत्रित और विनियमित करने के लिए ब्रिटिश संसद द्वारा उठाया गया पहला कदम माना जाता है।

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गवर्नर-जनरल का परिचय इसने बंगाल के गवर्नर के पद को बदलकर "बंगाल के गवर्नर-जनरल" कर दिया। · बंगाल में प्रशासन गवर्नर-जनरल और 4 सदस्यों वाली एक परिषद द्वारा चलाया जाना था। · वारेन हेस्टिंग्स को बंगाल का पहला गवर्नर-जनरल बनाया गया था। · बॉम्बे और मद्रास के गवर्नर अब बंगाल के गवर्नर-जनरल के अधीन कार्य करते थे।

अधिकार कंपनी के पास सुरक्षित इस अधिनियम ने कंपनी को भारत में अपनी क्षेत्रीय संपत्ति बनाए रखने की अनुमति दी, लेकिन कंपनी की गतिविधियों और कामकाज को विनियमित करने की मांग की।

भारतीय मामलों पर नियंत्रण इस अधिनियम के माध्यम से पहली बार ब्रिटिश कैबिनेट को भारतीय मामलों पर नियंत्रण रखने का अधिकार दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट की स्थापना बंगाल (कलकत्ता) में एक सुप्रीम कोर्ट ऑफ ज्यूडिचर की स्थापना की जानी थी, जिसमें अपीलीय क्षेत्राधिकार शामिल थे, जहाँ सभी मामलों के निवारण की मांग की जा सकती थी।

इसमें एक मुख्य न्यायाधीश और तीन अन्य न्यायाधीश शामिल थे। सर एलिजा इम्पे को सर्वोच्च न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।

वर्ष 1781 में अधिनियम में संशोधन किया गया था और गवर्नर-जनरल, परिषद तथा सरकार के कर्मचारियों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय यदि कोई कृत्य करते हैं तो उन्हें अधिकार क्षेत्र से छूट प्रदान की गई थी।