मुंशी प्रेमचंद
के प्रसिद्ध विचार
. दौलतमंद आदमी को जो सम्मान मिलता है, वह उसका नहीं, उसकी दौलत का सम्मान है।
अन्याय होने पर चुप रहना, अन्याय करने के ही समान है।
कुल की प्रतिष्ठा भी सदव्यवहार और विनम्रता से होती है, हेकड़ी और रौब दिखाने से नहीं।
सोने और खाने का नाम जिंदगी नहीं है, आगे बढ़ते रहने की लगन का नाम ही जिंदगी हैं।
आत्मसम्मान की रक्षा हमारा सबसे पहला धर्म ओर अधिकार है।
आदमी का सबसे बड़ा शत्रु उसका अहंकार है।
आशा उत्साह की जननी है। आशा में तेज है, बल है, जीवन है। आशा ही संसार की संचालक शक्ति है।
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